About us

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Welcome to Shree
Devaly Sangh

Welcome to the Shree Devaly Sangh, where we deeply value preserving and safeguarding our culture. To protect the health and cohesion of our society, it is not only our duty but also a noble vocation that each of us must accept. We are here to provide direction and a stage for people who share our steadfast dedication to preserving the soul of our historic heritage.

Three Crucial Resolutions on the Way to Culture Protection

We respectfully encourage you to commit to the following three commitments and pledges in order to effectively conserve culture:

Always Honor Family

The family is the foundation of a healthy society. We value the significance of showing our parents unshakable love and respect while also recognising the significant influence they have had on our lives. Spouses will fast together as a symbol of our unshakable devotion to one another, strengthening the sacred bond of marriage. In addition, we pledge to uphold the honor and dignity of our sisters and daughters by promoting an environment that values equality, respect, and support for their goals and objectives.

Diversity in Unity

The idea that divinity resides within each and every component of this enormous world is one that we at Shree Devaly Sangh fully comprehend and embrace. We sincerely think that no type of discrimination should ever be accepted, be it based on caste, colour, or religion, and we totally acknowledge that each and every one of us is a beloved child of the Supreme Father, God. As we work to build a culture where harmony, tolerance, and acceptance bloom in every facet of our lives, our unshakable commitment to inclusivity and togetherness knows no bounds.

Putting Demonic Tendencies to Rest

It is essential that we recognise and get rid of the negative influences within us as we work to defend and protect our culture. Let's resolve to strengthen ourselves, not by coercion or control, but rather by overcoming our own negative impulses and eliminating the evil forces that threaten our traditions and beliefs. Our ultimate objective is to foster a community that thrives on morals, empathy, and kindness.

जो कहे, जो मैं कहूं वह मानना पड़ेगा (धर्म-अधर्म से कोई लेना-देना नहीं) केवल मैं जो कहूं वह मानना पड़ेगा, वरना सताऊँगा मार दूंगा।

  • जैसे कि श्री ईसा मसीह जी को मारा गया- सताया गया
  • श्री सुकरात जी को मारा गया- सताया गया
  • श्री शाह हुसैन जी को मारा गया - सताया गया
  • श्री गुरू अर्जन देव जी को मारा गया - सताया गया
  • श्री गैलिलियो जी को मारा गया - सताया गया
  • श्री गुरु तेग बहादुर जी को मारा गया - सताया गया

शक्तिशाली कैसे बनें :-


शक्तिशाली बनने के लिए केवल दो ही उपाय हैं

1. आत्मबल2. संगठन

आत्मबल कैसे बढ़ सकता है:- संस्कारवान बनने से आत्मबल बढ़ता है।

संस्कार का अर्थ :- व्यक्तिगत उचित व्यवहार।

संस्कारवान कैसे बन सकते हैं :-

"हम माता-पिता की सेवा करेंगे - बहन बेटी का सम्मान करेंगे, पति-पत्नी व्रत का पालन करेंगे" इस संकल्प का पालन करने से हम संस्कारवान बन सकते हैं और आत्मबल बढ़ाकर शक्तिशाली बन सकते हैं।

संगठित कैसे होंगे :- अपनी संस्कृति को अपनाने से हम संगठित हो सकते हैं।

संस्कृति का अर्थ :- सामाजिक उचित व्यवहार।

"हम किसी से भी जात-पात, ऊँच-नीच, धर्म के नाम पर भेदभाव नहीं करेंगे"- इस संकल्प का पालन करने से हम संस्कृति अपना सकेंगे और संगठित होकर शक्तिशाली बन सकेंगे। जब हम सब एक ही परमपिता परमात्मा की संतान हैं, कण-कण में भगवान है, तो कौन छोटा - कौन बड़ा।

ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र कोई जाति नहीं है। यह तो जिस कर्म से व्यक्ति जीविका कमाता है, उसके अनुसार उसका वर्ण कहा गया है। जाति या वर्ण कर्म से है- जन्म से नहीं।

ब्राह्मण :- जो मार्गदर्शन करके जीविका कमाता हो।

क्षत्रिय :- जो राज्य संबंधी कार्य करके जीविका कमाता हो।

वैश्य :- किसी प्रकार की सेवा या वस्तु बेच कर जीविका कमाता हो।

शूद्र :- जो भीख मांग कर या लूट कर जीविका कमाता हो।

भीख और दान में अंतर है:-

दान :- उत्तम वस्तु का - उत्तम व्यक्ति को उत्तम कर्म के लिए दिया जाता है।

भीख :- कोई भूख के कारण न मरे - चोरी आदि गलत कार्य न करे- इसलिए पात्र-कुपात्र का ध्यान किये बिना दी जाती है।

धर्म क्या है :-

मानवता के कल्याण के लिए बनाए गए नियम ही धर्म है "संपूर्ण मानवता का कल्याण”।

किसी व्यक्ति विशेष, समूह विशेष, स्थान विशेष के कल्याण की बात धर्म हो ही नहीं सकती। वह किसी का भी केवल मत हो सकता है, धर्म नहीं।

हर समय पर - हर स्थान पर, मानवता कल्याण के लिए, संपूर्ण सृष्टि के कल्याण के लिए, आपके व आपके परिवार के कल्याण के लिए श्री देवालय संघ निम्नलिखित तीन संकल्पों को अपनाने का निवेदन करता है :-

1. हम माता पिता की सेवा करेंगे, बहन-बेटी का सम्मान करेंगे, पति-पत्नि व्रत का पालन करेंगे।

2. हम किसी से भी जात-पात, ऊँच-नीच, धर्म के नाम पर भेदभाव नहीं करेंगे।

3. हम शक्तिशाली बनेंगे - राक्षसी वृति को समाप्त करेंगे।