About Us

श्री वी.पी. गुप्ता वित्तीय मामलों के गहन अध्ययन के लिए जाने जाते हैं। वे जटिल समस्याओं के सरलतम समाधान प्रदान करते हैं। वे सामाजिक-आर्थिक उत्थान के लिए प्रतिबद्ध हैं और उन्हें आम आदमी के साथ-साथ वर्ग के आदमी के रूप में भी जाना जाता है।

img

शक्तिशाली बने

1. हम माता पिता की सेवा करेंगे। बहन-बेटी का सम्मान करेंगे, पति-पत्नी व्रत का पालन करेंगे।

2. हम किसी से भी जात-पात, ऊँच-नीच, धर्म के नाम पर भेदभाव नही करेंगे।

3. हम शक्तिशाली बनकर राक्षसी वृति को समाप्त करने में पूरा सहयोग करेंगे।

निवेदक डॉ.वी.पी.गुप्ता

"जय हो मात-पिता की"

न भय हो न भूख हो न भेदभाव हो

सभी सुखी हों - सभी समृद्ध हों

ऐसे समाज के निर्माण के लिए ही श्री देवालय संघ की स्थापना डॉ. वेद प्रकाश गुप्ता जी के द्वारा परमपिता परमात्मा ने अपनी असीम कृपा से करवाई है।

श्री देवालय संघ का मूल मंत्र:-

"जय हो मात-पिता की"

श्री देवालय संघ का अर्थ:-

श्री :- कल्याण का - समृद्धि का सूचक

देवालय :- देवताओं का स्थान

देवता :- जो सबका भला सोचता हो

जो सबका भला करता हो

ऐसे व्यक्ति का हृदय ही सच्चा देवालय है

ऐसे व्यक्तियों का संगठन ही श्री देवालय संघ है।

icon

2348

No. of Members

icon

1785

Satisfied donors

icon

4287

Fund raised

icon

1294

Happy volunteers

श्री देवालय संघ के उद्देश्य :-

1. सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः।

सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चित् दुःख भाग्भवेत् ।।

भावार्थ :- सभी खुश रहें सभी स्वस्थ रहें।

सबका भला हो और किसी को कुछ भी दुःख न हो।

2. ॐ सह नाववतु। सह नौ भुनक्तु ।

सह वीर्य करवावहै।

तेजस्विनावधीतमस्तु मा विद्विषावहै ।।

भावार्थ :- हे परमपिता परमात्मा, आपकी कृपा से हम सब मिलकर रहें, मिलकर दुनिया के सुखों को भोगें, एक दूसरे को आगे बढ़ाने में सहायता करें, हमारी योग्यता संसार में प्रकाशमान हो, हम आपस में कभी भी विरोध ना करें, मिलकर रहें।

3. शक्तिशाली बनकर राक्षसी वृत्ति को मिटाना है।

4. संस्कृति रक्षक बनकर संस्कार व संस्कृति को बचाना है।

राक्षसी वृत्ति क्या है:-

जो कहे, जो मैं कहूं वह मानना पड़ेगा (धर्म-अधर्म से कोई लेना-देना नहीं) केवल मैं जो कहूं वह मानना पड़ेगा, वरना सताऊँगा मार दूंगा।

  • जैसे कि श्री ईसा मसीह जी को मारा गया- सताया गया
  • श्री सुकरात जी को मारा गया- सताया गया
  • श्री शाह हुसैन जी को मारा गया - सताया गया
  • श्री गुरू अर्जन देव जी को मारा गया - सताया गया
  • श्री गैलिलियो जी को मारा गया - सताया गया
  • श्री गुरु तेग बहादुर जी को मारा गया - सताया गया

शक्तिशाली कैसे बनें :-

1. आत्मबल2. संगठन

आत्मबल कैसे बढ़ सकता है:- - संस्कारवान बनने से आत्मबल बढ़ता है।

संस्कार का अर्थ :- व्यक्तिगत उचित व्यवहार।

संस्कारवान कैसे बन सकते हैं :-

"हम माता-पिता की सेवा करेंगे- बहन बेटी का सम्मान करेंगे, पति-पत्नी व्रत का पालन करेंगे"

इस संकल्प का पालन करने से हम संस्कारवान बन सकते हैं और आत्मबल बढ़ाकर शक्तिशाली बन सकते हैं।

संगठित कैसे होंगे :- अपनी संस्कृति को अपनाने से हम संगठित हो सकते हैं।

संस्कृति का अर्थ :- सामाजिक उचित व्यवहार।

संस्कृति कैसे अपनायें :-

"हम किसी से भी जात-पात, ऊँच-नीच, धर्म के नाम पर भेदभाव नहीं करेंगे"- इस संकल्प का पालन करने से हम संस्कृति अपना सकेंगे और संगठित होकर शक्तिशाली बन सकेंगे। जब हम सब एक ही परमपिता परमात्मा की संतान हैं, कण-कण में भगवान है, तो कौन छोटा - कौन बड़ा।

ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र कोई जाति नहीं है। यह तो जिस कर्म से व्यक्ति जीविका कमाता है, उसके अनुसार उसका वर्ण कहा गया है। जाति या वर्ण कर्म से है- जन्म से नहीं।

ब्राह्मण :- जो मार्गदर्शन करके जीविका कमाता हो।

क्षत्रिय :- जो राज्य संबंधी कार्य करके जीविका कमाता हो।

वैश्य :- जो किसी प्रकार की सेवा या वस्तु बेच कर जीविका कमाता हो।

शूद्र:- जो भीख मांग कर या लूट कर जीविका कमाता हो।

img

Know us

More details...
img
img

Vision & Mission

More details...
img
img

Philosophy

More details...
img
img

Founder

More details...
img

भीख और दान में अंतर है :-

दान :- उत्तम वस्तु का - उत्तम व्यक्ति को - उत्तम कर्म के लिए दिया जाता है।

भीख :- कोई भूख के कारण न मरे - चोरी आदि गलत कार्य न करे - इसलिए पात्र-कुपात्र का ध्यान किये बिना दी जाती है।

धर्म क्या है :-

मानवता के कल्याण के लिए बनाए गए नियम ही धर्म है "संपूर्ण मानवता का कल्याण”।

किसी व्यक्ति विशेष, समूह विशेष, स्थान विशेष के कल्याण की बात धर्म हो ही नहीं सकती। वह किसी का भी केवल मत हो सकता है, धर्म नहीं।

हर समय पर - हर स्थान पर, मानवता कल्याण के लिए, संपूर्ण सृष्टि के कल्याण के लिए, आपके व आपके परिवार के कल्याण के लिए श्री देवालय संघ निम्नलिखित तीन संकल्पों को अपनाने का निवेदन करता है :-

1. हम माता पिता की सेवा करेंगे, बहन-बेटी का सम्मान करेंगे, पति-पत्नि व्रत का पालन करेंगे।

2. हम किसी से भी जात-पात, ऊँच-नीच, धर्म के नाम पर भेदभाव नहीं करेंगे।

3. हम शक्तिशाली बनेंगे - राक्षसी वृति को समाप्त करेंगे ।

“जय हो मात-पिता की"