संस्थापक के बारे में
V.P Gupta, Chairman Prrsaar Group, Chairman National Thoughts, Chairman N.B. World Development Forum, known for expertise in Finance, Management, turnaround & Wisdom, is very fond of Reading & Writing. He started reading Shrimad Bhagwad Geeta at the age of 6 and read all the books in his school library (more than 1000 books) by the age of 11. He has read more than 20000 books till now. He has always been the best throughout his banking service of 24 years. He was known for Turn Around, Innovation and out-of-Box Bold decisions. He passed CFP Exam at the age of 56 in 2008 as a regular student.
Dermatoglyphic Multiple Intelligence Test Report of
The Author Mr. Ved Prakash Gupta:
He has been rated above excellent (The Best Rating in the world) in Dermatoglyphic Multiple Intelligence test Report for Inborn Intelligence Potential. The Total Ridge Count (TRC) indicates the "Inborn Intelligence Potential" of an individual. "Inborn Intelligence Potential" for Mr. Ved Prakash Gupta
शक्तिशाली कैसे बनें :
शक्तिशाली बनने के लिए केवल दो ही उपाय हैं
1. आत्मबल 2. संगठन
आत्मबल कैसे बढ़ सकता है :
संस्कारवान बनने से आत्मबल बढ़ता है ।
संगठित कैसे हों
उत्तम संस्कृति से समाज संगठित होता है
संस्कार का अर्थ :- व्यक्तिगत उचित व्यवहार
संस्कृति का अर्थ :- सामाजिक उचित व्यवहार
श्री देवालय संघ के बारे में
जहां न भय हो – न भूख हो – न भेदभाव हो – सभी सुखी हों सभी समृद्ध हों
ऐसे समाज के निर्माण के लिए ही श्री देवालय संघ की स्थापना डॉ. वेद प्रकाश गुप्ता जी के द्वारा परमपिता परमात्मा ने अपनी असीम कृपा से करवाई है।
श्री देवालय संघ का अर्थ
श्री :- कल्याण का - समृद्धि का सूचक
देवालय :- देवताओं का स्थान
देवता :- जो सबका भला सोचता हो
जो सबका भला करता हो
ऐसे व्यक्ति का हृदय ही सच्चा देवालय है
ऐसे व्यक्तियों का संगठन ही श्री देवालय संघ है।
मानवता के कल्याण के लिए बनाए गए नियम ही धर्म है “संपूर्ण मानवता का कल्याण” ।
किसी व्यक्ति विशेष, समूह विशेष, स्थान विशेष के कल्याण की बात धर्म हो ही नहीं सकती।
वह किसी का भी केवल मत हो सकता है, धर्म नहीं।
हर समय पर – हर स्थान पर, मानवता कल्याण के लिए, संपूर्ण सृष्टि के कल्याण के लिए,
आपके व आपके परिवार के कल्याण के लिए श्री देवालय संघ निम्नलिखित
तीन संकल्पों को अपनाने का निवेदन करता है
1. हम माता पिता की सेवा करेंगे, बहन-बेटी का सम्मान करेंगे, पति-पत्नि व्रत का पालन करेंगे।
2.हम किसी से भी जात-पात, ऊँच-नीच, धर्म के नाम पर भेदभाव नहीं करेंगे ।
3.हम शक्तिशाली बनेंगे – राक्षसी वृति को समाप्त करेंगे।
राक्षसी वृत्ति क्या है ?
जो कहे, जो मैं कहूं वह मानना पड़ेगा (धर्म-अधर्म से कोई लेना-देना नहीं) केवल मैं जो कहूं वह मानना पड़ेगा, वरना सताऊँगा मार दूंगा ।
जैसे कि श्री ईसा मसीह जी को मारा गया- सताया गया
श्री सुकरात जी को मारा गया – सताया गया
श्री शाह हुसैन जी को मारा गया – सताया गया
श्री गुरू अर्जन देव जी को मारा गया – सताया गया
श्री गैलिलियो जी को मारा गया – सताया गया
श्री गुरुतेग बहादुर जी को मारा गया – सताया गया
श्री देवालय संघ का उद्देश्य
सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः ।
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चित् दुःख भाग्भवेत् ।।
भावार्थ :- सभी खुशरहें सभी स्वस्थ रहें ।
सबका भला हो और किसी को कुछ भी दुःख न हो ।
2.
ॐ सह नाववतु । सह नौ भुनक्तु ।सह वीर्यं करवावहै ।
तेजस्विनावधीतमस्तु मा विद्विषावहै ।।
भावार्थ :- हे परमपिता परमात्मा, आपकी कृपा से हम सब मिलकर रहें,
मिलकर दुनिया के सुख को भोगें, एक दूसरे को आगे बढ़ाने में सहायता करें,
हमारी योग्यता संसार में प्रकाशमान हो,
हम आपस में कभी भी विरोध ना करें, मिलकर रहें।
जाति या वर्ण कर्म से है- जन्म से नहीं
- ब्राह्मण :- जो मार्गदर्शन करके जीविका कमाता हो।
- क्षत्रिय :- जो राज्य संबंधी कार्य करके जीविका कमाता हो ।
- वैश्य :- जो किसी प्रकार की सेवा या वस्तु बेच कर जीविका कमाता हो ।
- शूद्र :-जो भीख मांग कर या लूट कर जीविका कमाता हो ।
भीख और दान में अंतर है :-
दान :- उत्तम वस्तु का – उत्तम व्यक्ति को – उत्तम कर्म के लिए दिया जाता है।
भीख :- कोई भूख के कारण न मरे – चोरी आदि गलत कार्य न करे – इसलिए पात्र – कुपात्र का ध्यान किये बिना दी जाती है।